आई नो... यू नो..! (भाग-5)
पुलिस स्टेशन से रिहा होते ही विराट सबसे पहले पाखी से मिलने होटल गया। पाखी मुंबई के एक होटल में रुकी थी। वैसे तो पाखी दिल्ली में सरकारी क्वार्टर में अकेले रहती थी, लेकिन सगाई की रस्म के लिए मुंबई आई हुई थी। विराट होटल मे जाते ही पाखी के रूम की और बढ़ने लगा, कि तभी उसका ध्यान आस पास के लोगो पर गया, जो कि उसी की तरफ देखे जा रहा था।
" ब्लडी हेल..... यह सारे मुझे घूर- घूर कर तो ऐसे देख रहे है.... जैसे उस सजल को मैंने ही मारा था। इन लोगों का कुछ नहीं हो सकता। खुद की जिंदगी में क्या हो रहा है.... उससे कोई मतलब नहीं इन्हे। बस आसपास के लोगों के जिंदगी की जिंदगी मे ताका - झाँकी जरूरी है।", विराट बड़बड़ाते हुए सीढ़ियां चढ़ने लगा।
विराट पाखी के कमरे में गया। उस समय सुबह के 10:00 बज रहे थे। शायद पाखी उस वक्त नहा कर आई थी, इसलिए आईने के सामने बैठकर अपने बाल बना रही थी। कमरे का दरवाजा खुलते ही पाखी जल्दी से खड़ी हो गई।
" विराट ! तुम... इंस्पेक्टर शर्मा ने तुम्हें रिहा कर दिया। मुझे तुम पर पूरा भरोसा था कि तुम बेगुनाह हो", पाखी विराट के पास आई..... तभी उसे विराट के माथे पर हल्की सी चोट का निशान दिखाई दिया, जिसे विराट ने अपने बालों से ढक रखा था।
"यह कैसे हुआ विराट?", पाखी ने विराट के बालों को हटाते हुए कहा, "इंस्पेक्टर शर्मा तुम्हारे साथ ऐसा कैसे कर सकते हैं? जबकि मैंने उन्हें साफ -साफ कहा था कि तुम सिर्फ एक सस्पेक्ट हो..... और वह अपनी पूछताछ कानून के दायरे मे रह कर करेंगे।"
पाखी की बातों से विराट की परवाह साफ झलक रही थी, लेकिन विराट को पाखी का इस तरह बोलना पसंद नहीं आया। उसने पाखी का हाथ झटकते हुए कहा, "तुम्हारे उस इंस्पेक्टर शर्मा की इतनी औकात नहीं है कि वह विराट सिंघानिया पर हाथ उठाए। आते वक्त होटल में मेरा सिर दीवार से टकरा गया था। उस वजह से थोड़ी स्वेलिंग आ गयी होगी।"
"तुम मुझसे नाराज हो विराट? मैं तो बस तुम्हारी फिक्र कर रही थी।", पाखी ने उदास होकर बोला।
विराट ने जब पाखी को उदास देखा तो उसने उसके गालों पर हाथ रख कर प्यार जताते हुए बोला,"नहीं पाखी! मै बस थोड़ा परेशान हूँ। ट्रस्ट मी मैंने सजल को नहीं मारा। लेकिन मुझे एक बात समझ नहीं आई... तुमने मेरे लिए इंस्पेक्टर से झूठ क्यों बोला?"
"कौन सा झूठ विराट?", पाखी ने पूछा।
पाखी की बात का जवाब देते हुए विराट ने कहा, "तुमने इंस्पेक्टर शर्मा से कहा था ना कि मैं विराट को बहुत समय से जानती हूं। जबकि हमें मिले तो अभी एक महीना भी नहीं हुआ होगा। हमने तो कभी एक दूसरे से फोन पर बात तक नही की। यह मेरे लिए बहुत बड़ी बात है कि तुम मुझे अच्छे से जानती नहीं हो, उसके बावजूद तुमने बिना कुछ कहे इस शादी के लिए हां बोल दिया। तुम चाहती हो तो थोड़ा टाइम ले सकती थी। अगर हम साथ में कुछ समय बिताते तो, शायद एक दूसरे को थोड़ा और जान पाते।"
"मेरे मॉम डैड ने तुम्हें मेरे लिए चुना था। वह कभी मेरा बुरा सोच ही नहीं सकते थे। अगर तुम उन्हें अच्छे लगे थे, तो तुम अच्छे ही होगे ना... और वैसे भी अब तो पूरी जिंदगी साथ ही बितानी है। फिर शादी से पहले साथ रहे या शादी के बाद... इस से कोई फर्क नही पड़ता।" पाखी ने मुस्कुराते हुए विराट की बातों का जवाब दिया।
" आई प्रॉमिस मैं तुम्हारे लिए एक बेस्ट हसबैंड साबित होऊंगा। लेकिन उससे पहले मैं भी जानना चाहता हूं कि सजल को किसने मारा होगा। सजल हमारे ब्रांड की मॉडल थी पाखी। उसकी मौत से हमारे बिजनेस को भी बहुत नुकसान हो सकता है। मुझे यह सब जल्द से जल्द संभालना होगा। पाखी इन सबके बीच अगर मैं तुमसे ज्यादा बात नहीं कर पाऊं, तो प्लीज माइंड मत करना। अब मुझे इजाजत दो।" यह कहकर विराट ने पाखी के माथे को चूमा और वहां से जाने लगा।
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पाखी का बचपन उसके मां-बाप के साथ उसके पुश्तैनी घर में बीता था, जो कि राजस्थान के "जैसलमेर" शहर में मौजूद था। पाखी और विराट के माता-पिता ने यह फैसला लिया था कि जब तक पाखी और विराट व्यस्क नहीं हो जाते, उन्हें इस रिश्ते के बारे में कुछ नहीं बताया जाएगा। अपनी हाई स्कूल तक की पढ़ाई पूरी करते ही पाखी आगे की पढ़ाई के लिए दूसरे शहर में रहने चली गई, जहां वह एक हॉस्टल में रहती थी। छुट्टियां होने पर वह अपने मां-बाप के पास उनके साथ रहने के लिए घर पर आ जाती थी। पाखी अपने गोल को लेकर बहुत फोकस्ड थी।
उधर विराट ने भी स्कूलिंग और कॉलेज मुंबई मे रहकर ही पूरा किया था। जब वह 19 साल का हुआ, तब उसकी माता का देहांत हो गया था.... और उसी वक्त उसे यह पता चला था कि उसका विवाह बचपन में ही पाखी के साथ तय कर दिया गया थ। अपनी मां की मौत के बाद विराट का मन थोड़ा उखड़ा- उखड़ा रहने लगा था तो मिस्टर राम सिंघानिया ने उसे आगे की पढ़ाई के लिए विदेश भेज दिया था।
वही पाखी अपनी पढ़ाई में इतनी व्यस्त थी कि उसके माता-पिता ने उसे इस रिश्ते के बारे में कुछ भी नहीं बताया। वह नहीं चाहते थे कि पाखी का ध्यान पढ़ाई से हटकर दूसरी चीजों पर आए। पाखी के माता-पिता के इस फैसले से राम सिंघानिया भी पूरी तरह सहमत थे। जैसे ही पाखी ने सीबीआई ज्वाइन किया, उसके कुछ समय बाद उसके माता-पिता का एक एक्सीडेंट में देहांत हो गया... और इसी के साथ उसे विराट और अपने रिश्ते के बारे में पता चला। पाखी अपने माता-पिता के देहांत से इतना दुखी थी कि उसने कभी विराट से बात करना तो दूर उसके बारे में जानना भी जरूरी नहीं समझा। पाखी के माता पिता की मौत के 2 साल बाद राम सिंघानिया पाखी से मिले और जैसे-तैसे उसे सगाई के लिए मनाया। पाखी और विराट को मिले लगभग एक महीना ही हुआ था.... और इस एक महीने में भी दोनों अपने-अपने काम में व्यस्त रहने के कारण ज्यादा बात नहीं कर पाते थे।
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पुलिस स्टेशन
शाम के 4 बजे...
उधर इंस्पेक्टर शर्मा को उस कपल का इंतजार करते-करते सुबह से शाम हो गई थी, जिन्होंने सामने से कॉल करके यह बताया था कि उनकी फोटो में गलती से पीछे सजल और उस आदमी का चेहरा साफ दिखाई दे रहा है, जिसने सजल का गला दबाया था।
"दत्ता! कब आएगा वह आदमी? उसका इंतजार करते-करते सुबह से शाम हो गई हैं। अब क्या उसी के इंतजार में बैठे रहेंगे? यहां सब काम रूके हुए हैं। इतनी देर में तो हम उस आदमी को गिरफ्तार भी कर चुके होते और क्या पता वही सजल का असली कातिल हो.... उसने वहां सजल का गला दबाकर उसकी जान ले ली हो और बाद में उसे झुमर के बीच में टांग दिया हो।" इंस्पेक्टर शर्मा ने गुस्से में कहा।
इससे पहले कि दत्ता इंस्पेक्टर शर्मा की बात का जवाब देता वह कपल पुलिस स्टेशन में दाखिल हो चुका था। वह कोई नवविवाहित जोड़ा था... जिसमें लड़के की उम्र लगभग 25 से 26 साल की होगी। तो उसके साथ आई लड़की भी उसकी हम उम्र लग रही थी। लड़की के हाथ में लाल चूड़ा देखकर कोई भी बता सकता था कि इसकी अभी थोड़े दिन पहले ही शादी हुई होगी।
" हेलो इंस्पेक्टर साहब ! मेरा नाम सुधांशु पांडे है और यह मेरी पत्नी मीनाक्षी। हम लोग मेरठ से मुंबई घूमने आए थे और उस दिन होटल मीनाज में ही ठहरे थे", उस लड़के ने अपना परिचय देते हुए कहा।
"हमारी शादी को अभी एक हफ्ता ही हुआ है। मुझे अच्छे से याद है कि उस दिन हम डिनर करके वापस अपने कमरे में लौट रहे थे। सुधांशु जी ने जिद की तो हम लोग वहां पर सेल्फी लेने लगे और शायद इसी वजह से सजल मैम और उस आदमी का चेहरा हमारे फोटो के बैकग्राउंड में आ गया। मै सजल मैम की फैन हूं। उनकी मौत का सुना तो दिल को बहुत धक्का लगा। अगर उनके कातिल को पकड़ने में हम थोड़ी भी मदद कर पाए, तो यह सजल मैम के साथ इंसाफ होगा",मीनाक्षी ने उदास होकर बोला।
"थैंक यू सो मच मिस्टर एंड मिसेज पांडे! आपको नहीं पता आप की दी इस छोटी सी लीड से हम सजल के कातिल के कितने करीब जा सकते हैं। मुझे खुशी है कि आप एक जिम्मेदार नागरिक की तरह खुद से सामने आए और इस तस्वीर के बारे में बताया। आप यह तस्वीर इन नंबर पर भेज दीजिए और अपना एड्रेस पुलिस स्टेशन में लिखवा दीजिए। वैसे तो आप की कोई जरूरत नहीं पड़ेगी, लेकिन हो सकता है फ्यूचर में आपको बयान देने के लिए आगे आना पड़े।", इंस्पेक्टर शर्मा ने गहरी सांस लेते हुए कहा।
मिस्टर और मिसेज पांडे वहां से जा चुके थे। वही इंस्पेक्टर शर्मा और सब इंस्पेक्टर दत्ता की बेचैनी अब थोड़ी कम हो चुकी थी। भले ही छोटा ही सही, लेकिन उनके हाथ एक सबूत और लग चुका था। दत्ता ने वह तस्वीर इंस्पेक्टर शर्मा को दिखाई, तो तस्वीर मे उस शख्स को देखकर उन दोनों की आंखें फटी रह गई।
"मिस्टर राम सिंघानिया! इंस्पेक्टर शर्मा ने आंखें बड़ी करते हुए कहा, "किसने सोचा था कि यह भी इन सब में इंवॉल्व हो सकते हैं। दत्ता मैं नहीं चाहता कि कोई देर हो... हमें तुरंत राम सिंघानिया को अरेस्ट करने जाना होगा। अगर वह शहर से दूर चला गया, तो उसे पकड़ पाना मुश्किल होगा। तुम जल्द से जल्द वैन रेडी करवाओ।"
"लेकिन सर बिना अरेस्ट वारंट के हम राम सिंघानिया को कैसे अरेस्ट करेंगे? आप अच्छी तरह जानते हो, उन लोगों को उन तक पहुंचना इतना आसान नहीं है" दत्ता ने कहा।
"तुम जल्द से जल्द एक रिपोर्ट तैयार करो और उसमें लिखो कि हमें मिस्टर राम सिंघानिया के खिलाफ सबूत मिला है, जिसमें साफ दिखाई दे रहा है कि वह सजल अली का गला दबा रहे थे। मैं तब तक मजिस्ट्रेट के पास पहुंचता हूं।तुम मुझे रिपोर्ट फेक्स करवा देना",इंस्पेक्टर शर्मा वहां से वहाँ से जाते हुए बोले।
जैसा कि इंस्पेक्टर शर्मा ने निर्देश दिए थे, दत्ता ने लगभग 1 घंटे बाद रिपोर्ट इंस्पेक्टर शर्मा को फैक्स के जरिए भिजवा दी थी।
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सिंघानिया मेंशन
शाम के 7:00 बजे
इंस्पेक्टर मोहित शर्मा अपनी टीम लेकर सिंघानिया मेंशन में पहुंचे. .. जैसा कि उन्हें अपेक्षित था, उन्हें दरवाजे पर ही रोक लिया गया था। लेकिन जब इंस्पेक्टर शर्मा ने गार्ड को भी गिरफ्तार करने की धमकी दी, तो सिक्योरिटी गार्ड को बिना किसी ना- नुकुर किये उन्हें अंदर भेजना पड़ा।
जब इंस्पेक्टर शर्मा सब इंस्पेक्टर दत्ता और दो कॉन्स्टेबल के साथ सिंघानिया मेंशन पहुँचे, तो वहां पर भूमि सिंघानिया अपना पर्सनल पोर्टफोलियो शूट करवा रही थी।
"अच्छा हुआ जो वो सजल मर गई। उसके मरने के बाद मुझे मॉडलिंग करने का मौका तो मिला। पता नहीं डैड और भाई को उसने क्या नजर आता था, जो उसे हायर कर रखा था।"भूमि मुस्कुराते हुए अपने मेकअप आर्टिस्ट से बात कर रही थी, जो शूट के बीच उसका टच अप करने आई थी। भूमि इस तरह से बात कर रही थी, मानो उसे सजल की मौत से कोई भी फर्क ना पड़ा हो।
भूमि जोर से चिल्लाते हुए बोली,"सो गाइज... आज की पार्टी मेरी तरफ से। सब रेडी है ना रात के 11:00 बजे?"
"लेकिन मैम आज तो आपका बर्थ डे नहीं है.... और ना ही कोई स्पेशल ऑकेजन। तो आप इतनी खुश क्यों है और ये पार्टी दे रही है?," मेकअप आर्टिस्ट ने पूछा।
"अरे आज तो मेरी जिंदगी की सबसे बड़ी खुशी का दिन है। मेरी रास्ते का कांटा वह सजल जो मर गई। आज की पार्टी सजल के मरने की खुशी में"...भूमि मुस्कुराते हुए बोली।
"मुझे तो यह पूरी फैमिली ही गड़बड़ घोटाला लगती है। कभी बड़ा भाई सजल के मरने से पहले उसे बार - बार कॉल करता है, तो कभी छोटा भाई आगे आकर बीच-बचाव करने कोशिश करता है। अचानक यह पता चलता है कि बाप ने सजल को मरने से पहले उसे होटल में गला दबाकर मारने की कोशिश की थी या यूं कहें कि मार ही दिया होगा। घर आए तो पता चल रहा है कि बेटी द्वारा सजल की मौत की खुशियां मनाने की तैयारी की जा रही है" इंस्पेक्टर शर्मा सिंघानिया फैमिली के हर एक सदस्य को शक भरी निगाहों से देख रहे थे।
इंस्पेक्टर शर्मा वहां हो रहे वाक़िये को देख ही रहे थे। तभी उस तरफ राम सिंघानिया अपने वकील मिस्टर अमित वर्मा के साथ आये।
"बोलिए इंस्पेक्टर.... कुछ काम था? विराट और विराज की तो एंटीसिपेटरी बैल के पेपर्स ऑलरेडी पुलिस स्टेशन में सबमिट हो चुके हैं। अब क्या यहां भी छानबीन करोगे" वकील अमित वर्मा ने व्यंगात्मक तरीके से इंस्पेक्टर की तरफ देखते हुए पूछा।
"मैं ज्यादा कुछ नहीं बोलूंगा मिस्टर वर्मा। मिस्टर राम सिंघानिया यू आर अंडर अरेस्ट... सजल अली की मौत से पहले उसे धमकाने और गला दबाने की कोशिश करने के जुर्म में मैं आपको गिरफ्तार करता हूं। अब आप अपनी सफाई में पुलिस स्टेशन में चलकर ही दीजिएगा" इंस्पेक्टर शर्मा ने कहा।
जैसे ही इंस्पेक्टर शर्मा ने अपनी बात खत्म की, अमित वर्मा और राम सिंघानिया एक दूसरे की तरफ देख कर मुस्कुराने लगे।
"सॉरी टू से इंस्पेक्टर लेकिन तुम लेट हो गए हो। शायद तुम्हें नहीं पता लेकिन मेरी एंटीसिपेटरी बैल के पेपर्स तो तुम्हारे यहाँ आने से पहले ही जमा हो चुके थे" राम सिंघानिया बेशर्मी से मुस्कुराते हुए बोले..." तुम्हें क्या लगा कि तुम मजिस्ट्रेट के पास जाकर मेरा अरेस्ट वारंट लेकर आओगे, मुझे कुछ पता ही नहीं चलेगा। शर्मा मजिस्ट्रेट के घर से सिंघानिया मेंशन पहुंचने में पूरे डेड घंटे लगते हैं और इतना वक्त काफी था हमारे लिए वह पेपर्स पुलिस स्टेशन में जमा करवाने के लिए। मुझे पता था कि तुम्हें कैसे ना कैसे करके यह पता चल ही जाएगा कि मैं सजल से मिला था। लेकिन ट्रस्ट मी इंस्पेक्टर मैंने उसे नहीं मारा। तुम मुझे अरेस्ट करके लेकर नही ले सकते। यहाँ बात मेरी कंपनी की रेपुटेशन की भी है और यह मैं कभी बर्दाश्त नहीं करूंगा कि मेरा बिजनेस नीचे आ जाए। बाकी... दरवाजा उधर है। "
मिस्टर राम सिंघानिया के जमानत के पेपर जमा हो जाने की वजह से इंस्पेक्टर शर्मा को बिना उन्हें गिरफ्तार किए वापस पुलिस स्टेशन में लौटना पड़ा।
★★★★★★★
तीन दिन बाद.....
सजल की मौत को 3 दिन से भी ज्यादा वक्त हो चुका था, लेकिन उसके कातिलों के बारे में कुछ भी पता नहीं चल पा रहा था। पुलिस अपनी खोजबीन में जुटी थी, लेकिन सजल के फैंस और घरवाले प्रोटेस्ट पर उतर आए थे। वह चाहते थे कि सजल की मौत की छानबीन सीबीआई द्वारा की जाए। आज सजल की पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने वाली थी, जबकि बॉडी के जरूरी अवशेषों को सुरक्षित रखकर सजल की लाश का अंतिम संस्कार 1 दिन पहले किया जा चुका था।
कमशः.....